Ashish Kumar

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बाल हनुमान लेखनी प्रतियोगिता -30-Mar-2023

बाल हनुमान

बहुरूपिये का रूप लिए
एक दिन देखा बाल हनुमान
जिह्वा उसकी रट लगाए
जय श्री राम जय श्री राम

मंत्रमुग्ध करे लघु रूप
लाल मुख बढ़ाए शान
कुलाँचे भर-भर सड़कों पर
निकला है गदा को थाम

पूँछ में बँधी छोटी सी घंटी
डाल रही किरदार में जान
पीछे लगी बच्चों की टोली
खिंच पूँछ करती परेशान

गली गली हर घर पर जाए
जाकर बोले जय श्री राम
पेट सहला कर करे इशारा
कहता दे दो भगवान के नाम

कहीं मिले मुट्ठी भर चावल
कहीं सिक्के तो कहीं अपमान
ईश्वर तेरी यह कैसी लीला
मंदिर में चढ़े लाखों का दान

ठुकरा रहे जो बाल रुप में
उन्हें पत्थर में ढूँढे वही इंसान
और कहते हैं सारे के सारे
कण कण बसते हैं भगवान

दर्द छुपा उसका हँसी के अंदर
भूख की मारी नन्ही सी जान
करने जुगाड़ रोटी का बालक
निकला बन कर बाल हनुमान

               - आशीष कुमार
           मोहनिया, कैमूर, बिहार

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6 Comments

Ajay Tiwari

31-Mar-2023 08:36 AM

Very nice

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Ashish Kumar

31-Mar-2023 10:06 PM

Thank you so much

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Abhinav ji

31-Mar-2023 07:48 AM

Jay ho

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Ashish Kumar

31-Mar-2023 10:06 PM

😊😊🙏🙏

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Reena yadav

30-Mar-2023 02:20 PM

👍👍

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Ashish Kumar

30-Mar-2023 05:52 PM

जी बहुत-बहुत धन्यवाद

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